Rumored Buzz on Shiv chaisa
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कार्तिक श्याम और गणराऊ। या छवि को कहि जात न काऊ॥
अर्थ- हे शिव शंकर भोलेनाथ आपने ही त्रिपुरासुर के साथ युद्ध कर उनका संहार किया व सब पर अपनी कृपा की। हे भगवन भागीरथ के तप से प्रसन्न हो कर उनके पूर्वजों की आत्मा को शांति दिलाने की उनकी प्रतिज्ञा को आपने पूरा किया।
जो यह पाठ करे मन लाई। ता पार होत है शम्भु सहाई॥
जय गिरिजा पति दीन दयाला। सदा करत सन्तन प्रतिपाला॥
काम आये जो हर संकट में नाम वही है प्यारा,
किया तपहिं भागीरथ भारी। पुरब प्रतिज्ञा तसु पुरारी॥
गंगा जटा में तुम्हारी, हम प्यासे यहाँ ॥
वेद माहि महिमा तुम गाई। अकथ अनादि भेद नहिं Shiv chaisa पाई॥
आप जलंधर असुर संहारा। सुयश तुम्हार विदित संसारा॥
भाल चन्द्रमा सोहत नीके। कानन कुण्डल नागफनी के॥
एक कमल प्रभु राखेउ जोई। कमल नयन पूजन चहं सोई॥
जो यह पाठ करे मन लाई। ता पर होत है शम्भु सहाई॥
लिङ्गाष्टकम्
दानिन महं तुम सम कोउ नाहीं। सेवक स्तुति करत सदाहीं॥